Fiza Tanvi

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कैसा ये इश्क़ हैं...

हाथ मै कलम लिये नज़म खिड़की के पास बैठी.
बाहर के मौसम को देख रही थी, पेड़ के पत्ते बारिश की बूंदो से झुके जा रहे थे, टप टप बुँदे खिड़की से फर्श पर गिर रही थी,
वो बुँदे बचपन के दिनों की याद दिला रही थी, बचपन मे मै और वसीम बुँदे हाथ मै लेकर पूरे घर मै घूमते थे
लेकिन आज इन बूंदो से इतनी मोहब्बत नहीं थी.जितनी कल थी, नज़म ने लम्बी सांस लेते हुए सोचा रौनक इन बूंदो से थी, या वसीम से,

आज पूरे पूरे 10 साल हो गए थे,वसीम और मुझे जुदा हुए, इन दस सालो मे एक दिन भी ऐसा नहीं गुज़रा था, जब मैंने उसे याद ना क्या हो और आंखे ना भिगोयी हो, दस साल पुराना दर्द आज भी बिलकुल नया था,ऐसे हिफाज़त से था,जैसे कोई अपनी बहुत एहम चीज हिफाज़त से रखता हैं,

बाहर से ऱईसा बेग़म की आवाज़ आयी, शायद नदीम को बुला रही थी, मैंने नीचे जाकर देखा तो नदीम निगाहेँ  नीचे किये खड़ा था, ऱईसा बेग़म सोफे पर बैठी, नदीम को डांट रही थी, अपनी तेज़ आवाज़ और और रुतबे को देखते हुए वो ये भी नहीं सोचती थी, के किसी के पास दिल भी हैं, और वो दिल दुखता भी हैं, इंसान तो है, रईसा बेग़म मगर हमदर्दी और इंसानियत से मेहरूम हैं, थोड़ी देर के बाद पता चला, वो नदीम को शादी के लिये कह रही थी,.

जहा तक मै जानती हु, नदीम आसमा से मोहब्बत करता था,वो उसे कभी धोखा नहीं देगा. आसमा नदीम के बचपन की दोस्त थी,आसमा के अब्बू रईसा बेग़म के शोहर की गाडी चलाया करते थे.उन्ही के साथ घर पर आती नदीम और आसमा अच्छे दोस्त बन गए थे,
और ये दोस्ती मोहब्बत मै कब तब्दील हो गयी, पता ही नहीं चला, सगीर भाई के गुज़रने के बाद ऱईसा बेग़म ने निज़ाम साहब आसमा के अब्बू को नौकरी से निकाल दिया था, नदीम को पढ़ने के लिये विदेश भेज दिया था, इसी दौरान आसमा के अब्बू का इंतिक़ाल भी हो गया, वो अकेली रह गयी थी,

बचपन मै किये वादे, साथ जीने की क़समे रईसा बेग़म ने सब मिट्टी मै मिला दिए थे, एक नहीं बल्कि दो दो मोहब्बत की क़ातिल थी, रईसा बेग़म, कहने को वो मेरी बहन थी, लेकिन बहन वाला एक भी फर्ज़ अदा नहीं क्या था, मेरी मोहब्बत को मुझसे दूर कर दिया था, आये दिन नदीम की तरह मेरे लिये भी अपनी हैसियत के मुताबिक नये नये रिश्ते लिये चली आती हैं
नागिन भी एक घर छोड़ कर वार करती हैं, लेकिन ये औरत नागिन से भी बढ़कर थी,

जो बहन तो बहन रही अपनी औलाद जिसे पाल पॉस कर बडा किया उसकी परवा नहीं करती, तो मेरी क्या करेगी, मुझे तो डर लगता था,कही नदीम भी मेरी ही तरह इस औरत का शिकार ना हो जाए,

आखिरकार क्या भी क्या सकता था, विदेश से आये हुए अभी उसे सिर्फ दो ही दिन हुए थे, और ऱईसा बेग़म ने परेशान करना शुरू कर दिया था,

शाम का खाना खाकर मै बाहर घूमने निकल गयी, नदीम भी पीछे से मेरे साथ हो लिया, नदीम उदास था,
कहने लगा खाला मै क्या करू.
मै शादी नहीं करना चाहता मेरे दिल पे सिर्फ एक ही नाम लिखा हैं, आसमा का, मैंने उस से वादे किये थे, हमने कसमे खायी थी, उसने कहा था, हर मुश्किल वक़्त मै वो मेरा साथ देगी, लेकिन आज, आज वो मुझे छोड़ कर चली गयी, पता नहीं उसने कैसी कैसी मुसीबते उठाई होंगी, कभी रोई भी होंगी,

मै उसको खुशियाँ ना दे सका, चलते चलते दोनों रोड किनारे पड़ी बेंच पर बैठ गए,
नदीम ने मेरा हाथ पकड़ा खाला आपमें बहुत बरदाश हैं, कैसे सहती हो आप अम्मी की कटी जली बाते,
नदीम ने मेरे पैरो पर सर रख लिया और रोने लगा,
खाला मै क्या करू मुझे कुछ समझ नहीं आरहा हैं,

कभी कभी लगता हैं, मै भी आसमा की तरह अपनी जान दे दू, नज़म चौक पड़ी क्या बोल रहे हो तुम असमा की तरह जान देदू, आसमा जान क्यो देगी
नज़म की बात सुनकर नदीम बोला खाला आपको नहीं पता आसमा ने खुद खुशी कर लीं,

नज़म ने अपना दुपट्टा सर पर रखते हुए कहा, तुमसे किसने क़हा असमा ने खुदखुशी कर लीं,
नदीम उठ कर नज़म के पास बैठ गया, किसने कहा मतलब अम्मी ने मुझे बताया था,
बहुत यकीन हैं तुम्हे उस औरत पर, तुम्हे लगता हैं आसमा खुदखुशी कर सकती हैं,

नदीम के चेहरे पर हलकी सी खुशी थी, वो ख़ुश हो गया था, ये सुन कर के आसमा ज़िन्दा हैं,
नदीम की खुशी उसके चेहरे से ज़ाहिर हो रही थी,
ऐसा लग़ रहा था, जैसे तेज़ बादल के बीच से धूप की किरणे निकलने लगी थी..
नदीम उठ कर जाने लगा, मैंने नदीम का हाथ पकड़ा. कहा जा रहे हो, नदीम ने ख़ुश  होकर मुझसे कहा, आसमा के पास..
मैंने नदीम को वही बिठा लिया.

देखो नदीम अगर तुम आसमा की जिंदगी चाहते हो
तो उस से दूर हो जाओ,
नदीम के चेहरे की रंगत उतर गयी.
खाला आप ये क्या कह रही हैं, आप भी अम्मी की तरह हो गयी,, मैंने कहा नदीम आसमा वहा नहीं हैं जहा तुम जा रहे हो,
तो फिर कहा हैं, नदीम ने कहा,
नज़म खाला आसमा कहा हैं.आखिर आप बताती क्यो नहीं,नज़म ने कहा चलो मेरे साथ, नदीम नज़म के साथ चल पड़ा,

जब नदीम दरवाज़े से अंदर आया उसने देखा आसमा चूल्हे से खाना बना रही थी, नदीम काफी देर तक आसमा को देखता रहा, उसकी आंखे नम थी,
आसमा चूल्हा फूक रही थी, रोटियां बना रही थी,

आसमा ने उठ कर सामने रखी करछलीं उठाई तो उसकी नज़र नदीम पर पड़ गयी आसमा उठ कर खड़ी हो गयी, नदीम थोड़ा आगे बढ़ा आसमा उसके गले लग् गयी और ज़ाऱ ओ कतार रोने लगी.

ज़ाहिद पौधो की सफाई कर रहा था, मेरी नज़ऱ ज़ाहिद पर पड़ी मै उनके पास चली गयी, ज़ाहिद पीछे मुडा अरे नज़म तुम, कैसी हो, नज़म ज़ाहिद को देख रही थी, और बोली ज़ाहिद कैसी सजा हैं हमारी क्या गुनाह क्या था, जो हमें ऐसी सज़ा मिल रही हैं,
तुम अकेले हो, मै अकेली हु, आसमा अकेली हैं, नदीम अकेला हैं, कैसा हैं ये इश्क़,
ज़ाहिद ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिठा लिया नज़म हारो मत, सबसे अच्छी बात ये हैं की तुम मेरी हो, मेरी मोहब्बत, मेरे एहसास सब तुम्हारे हैं,

रईसा बेग़म को ज़ोर लगा लेने दो, कितने सर काटेंगी एक कटेगा उसके लहू से दस लोग आएंगे कितने सर काटेंगी.नज़म उदासी के साथ कहती हैं,
हमारी जवानी चली गयी. कही नदीम और आसमा भी हमारी तरह ना हो जाए,

ज़ाहिद ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ऐसा कभी नहीं होगा, उन दोनों को मिलाने का हमारा काम हैं.
हम दोनों उनकी शादी करवाएंगे.

नदीम और आसमा बाहर आ गये जहा ज़ाहिद और नज़म बैठे थे, आसमा ने सारी हक़ीक़त नदीम को बता दी थी, अगर आज वो ज़िन्दगी हैं, और सलामत हैं तो वो नज़म बाजी और ज़ाहिद भाई की वजह से.
अब्बू के इंतिकाल के बाद मै अकेली रह गयी थी.
अगर ये दोनों ना होते, तो शायद मै ना होती,
नज़म ने आसमा को गले लगा लिया.

और कहने लगी, उदास मत हम सब तुम्हारे साथ हैं.
फिर दोनों घर की तरफ निकल गए.
घर पहुंच कर देखा, काफी लोग बैठे हुए थे,
थोड़ी देर बाद पता चला लड़की वाले हैं, नदीम को रिश्ता लेकर आये हैं,

रईसा बेग़म के कहने पे नदीम मेहमानों के पास बैठ तो गया लेकिन अपने फ़ोन मे ही लगा रहा.
रईसा बेग़म उसकी इस हरकत को देख रही थी.
और गुस्से से लाल पीली हो रही थी.


अभी जारी हैं....

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10 Comments

Sachin dev

06-Dec-2021 10:21 PM

Very beautiful 👌

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Zaifi khan

30-Nov-2021 06:08 PM

Good

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Ammar khan

30-Nov-2021 11:32 AM

Good

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